शिक्षा ऐसी हो जो हमें मनुष्य बना सके, जिससे जीवन का निर्माण हो, मानवता का प्रसार हो और चरित्र का गठन हो। परन्तु आजकल का जो शिक्षा का सिद्धान्त चल रहा है वो इस बात को कहीं तक भी सार्थक करता नही दिखता बल्कि इसके उलट ये नई पीढी को चरित्रहीन और संस्कार विहीन और औरों पर निर्भर रहने वाला बना रहा है।
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